Bhayanak bhutni ki kahani, chudail wali kahani, bhoot ki kahaniya in hindi, प्यासी चुड़ैल की कहानी, कच्चे दिल वाले दूर रहे नहीं तो फट कर हाथ में आ जाएगी
आज की हमारी कहानी एक भयानक भूतनी की कहानी है जो कि अपनी भूख शांत करने के लिए नौजवान पुरुषों और लड़कों का दिल निकालकर खाया करती थी, इसलिए दोस्तों अगर आपका दिल कमजोर हैं और आपको भूत प्रेतों से डर लगता है।
तो ऐसे में आपको हमारी इस कहानी को नहीं पढ़ना चाहिए, पर यदि आप भूत प्रेतों की कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं और आपको उनसे डर नहीं लगता है तो यह कहानी आपको काफी ज्यादा पसंद आने वाली है।
क्योंकि यह कहानी काफी ज्यादा डरावनी और भयानक है, जिसे आप एक बार पूरा अवश्य पढ़े तो आइए शुरू करते हैं आज की हमारी भूतनी वाली कहानी को।

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इंसानों का दिल निकाल कर खाने वाली एक चुड़ैल की कहानी
Bhayanak bhutni ki kahani: यह कहानी उस समय की है जब भारत में अंग्रेजों का राज हुआ करता था, और अंग्रेज भारतीय किसानों के ऊपर बेतहाशा जुल्म किया करते थे, उस समय एक रामगंज नाम का गांव हुआ करता था, रामगंज के अंदर एक ब्रिटिश अधिकारी का दफ्तर भी बना हुआ था।
और वह ब्रिटिश अधिकारी गांव वालों के ऊपर काफी ज्यादा जुल्म किया करता था, रामगंज गांव के अंदर एक गरीब किसान का परिवार भी रहता था, जिसकी एक खुशी नाम की 20 वर्षीय लड़की भी थी, ब्रिटिश अधिकारी की नजर अक्सर खुशी को गंदी नजरों से देखा करती थी।
1 दिन ब्रिटिश अधिकारी मौका पाकर खुशी को उसके घर से उठाकर अपने साथ जंगल में ले गया और जंगल में उसके साथ दुष्कर्म करके उसे छोड़ दिया, जब खुशी के पिता खेतों से काम करके शाम को घर लौटे तो उन्हें घर पर खुशी नजर नहीं आई तो उन्होंने पूरे गांव में तलाश की और सभी गांव वाले खुशी की तलाश में इधर-उधर भागने लगे।
इसके बाद गांव वालों को खुशी जंगल की तरफ से फटे कपड़ों के अंदर गांव में आती नजर आई, तब सभी गांव वालों ने खुशी के पास जाकर पहुंचा बेटा आपकी यह हालत किसने की और आप अकेली जंगल में कैसे पहुंची, तो खुशी ने गांव वालों को और अपने पिता को अपनी आप बीती सुनाई, जिसे सुनकर सभी गांव वालों का खून खोल उठा।
और गांव वाले उस ब्रिटिश अधिकारी के दफ्तर की तरफ चल पड़े पर जब तक वह ब्रिटिश अधिकारी के पास पहुंचते हैं तब तक ब्रिटिश अधिकारी उस गांव को छोड़कर वहां से भाग चुका था, पर दोस्तों खुशी की इज्जत अब लौट चुकी थी, इसलिए अब उसे सभी गांव वाले भला बुरा कहने लगी थी और उसे अपवित्र बताने लगे थे।
साथ ही खुशी के साथ कोई भी नौजवान अब शादी करने को तैयार भी नहीं था जिसे देख खुशी के माता पिता काफी ज्यादा चिंतित रहते थे, जिसे खुशी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और खुशी ने एक दिन आत्महत्या करने की ठान ली।
और अपनी जान देने के लिए गांव के पास वाले जंगल में जाकर एक ऊंची पहाड़ी से नदी में कूदकर अपनी जान दे दी, खुशी के माता-पिता इस दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाए और वह भी खुशी के गम में मर गए।
पर दोस्तों खुशी जिसने नदी में कूदकर अपनी जान दी थी वह मर कर अब एक खतरनाक चुड़ैल बन चुकी थी जोकि गांव वालों को अब अपने माता पिता की मौत का दोषी मान रही थी, और उसने सभी गांव वालों को मारने की ठान ली थी।
और यहां हम आपको बता दें गांव वाले नदी के पानी से ही अपनी पूरी खेती बाड़ी का काम देखते थे और पास के जंगल से ही लकड़ियां लाकर जलाते थे, और पानी और लकड़िया लेने के लिए हर किसी को जंगल में जाना ही पड़ता था।
खुशी के माता-पिता के गुजर जाने के बाद गांव वालों को जंगल से रात को रोने की आवाजें सुनाई देती और साथ ही मदद की गुहार लगाती खुशी की आवाज भी गांव वालों को सुनाई देती थी, इसके बाद एक दिन जब सभी गांव वाले पानी और जंगल से लकड़ियां लेने के लिए जंगल में गए तो उनमें से दो नौजवान बच्चे जिनकी उम्र लगभग 20 साल के आसपास थी।
उन्हें लकड़िया काटते काटते जंगल में काफी देर हो चुकी थी, और जब वह दोनों अपनी लकड़िया काटकर इकट्ठा कर चुके थे तब तक उन्हें रात्रि के 9:00 बज चुके थे, सभी गांव वाले उन दोनों को लेकर काफी ज्यादा चिंतित थे, और जंगल में डरावनी आवाजें आना भी शुरू हो चुकी थी अब ऐसे में कोई भी जंगल की तरफ नहीं जाना चाहता था।
अब गांव के लोगों की आंखें जंगल के रास्ते की तरफ टिकी हुई थी कि कब वह दोनों उस जंगल से लकड़ियां लेकर आएंगे, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था क्योंकि जंगल में आज उनकी मौत लिखी हुई थी, और अब जंगल के अंदर उन दोनों लड़कों पर खुशी की नजर पड़ चुकी थी जो कि अब एक भयानक चुड़ैल बन चुकी थी।
खुशी ने उन दोनों ही लड़कों के दिल उनके शरीर से अलग कर उन्हें खा गई थी, और उनके मृत शरीर को पेड़ से उल्टा लटका दिया था, और अब खुशी के खून मुंह लग चुका था और अब वह खून की प्यासी चुड़ैल बन गई थी।
उधर गांव वाले पूरी रात उन दोनों लड़कों का इंतजार करते रहे पर जंगल से वह दोनों लौटकर नहीं आए इसके बाद दूसरे दिन जब सूरज की पहली किरण निकली तो सभी गांव वाले हाथ में डंडे लिए जंगल की तरफ उन दोनों को ढूंढने के लिए निकल पड़े।
जैसे ही गांव के लोग जंगल के बीच नदी के पास पहुंचते हैं तो उन गांव वालों को उन दोनों लड़कों की लाशें पेड़ों से लटकी हुई मिलती है, जिनके सीने में अब दिल नहीं था गांव वाले समझ चुके थे कि गांव पर अब मौत का साया आ चुका है जो अब किसी को भी नहीं छोड़ेगा।
डर के कारण कुछ गांव वालों ने तो गांव ही छोड़ दिया और शहर में जाकर बस गए और बाकी के सभी गांव वाले अब डर के साए में अपनी जिंदगी जीने लगे, दोस्तों इसके बाद अब जब भी कोई उस जंगल की तरफ रात के समय जाता है तो वह जिंदा नहीं लूटता है और खुशी का शिकार हो जाता है।
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कहानी अभी बाकी है।
आपको हमारी आज की “Bhayanak bhutni ki kahani” कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं, यह कहानी अभी अधूरी है, अगर आप जानना चाहते हैं कि उन सभी गांव वालों का क्या हुआ और आखिर खुशी ने कितने लोगों की जान ली, क्या खुशी को मुक्ति मिली या नहीं,
यह सब जानने के लिए आपको हमें कमेंट करके बताना होगा कि क्या आप इस कहानी का अगला भाग पढ़ना चाहते हैं अगर आप लोग हमें कमेंट करते हैं तो हम इस कहानी का अगला भाग जल्दी प्रकाशित करेंगे।
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